नई दिल्ली: भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर #Maldivesboycott अभियान शुरू होने के बाद से मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोइज्जू घबरा गए हैं। इस अभियान के कारण भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
विवाद का कारण:
यह विवाद तब शुरू हुआ जब मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियां कीं। पीएम मोदी ने लक्षद्वीप की अपनी यात्रा के दौरान एक प्राचीन समुद्र तट पर अपना एक वीडियो शेयर किया था। इस वीडियो पर टिप्पणी करते हुए मालदीव के मंत्रियों ने भारत और लक्षद्वीप के बारे में आपत्तिजनक बातें कहीं।
भारत की प्रतिक्रिया: विदेश मंत्रालय में तलब किया
भारत ने मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की। भारत सरकार ने मालदीव के उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय में तलब किया और उन्हें इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा। भारत ने मालदीव सरकार से इन मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की।
#Maldivesboycott अभियान ने बढ़ाया दबाव:
इसके बाद भारत में सोशल मीडिया पर #Maldivesboycott अभियान शुरू हुआ। इस अभियान के तहत लोगों से मालदीव जाने के बजाय घरेलू पर्यटन स्थलों के बारे में जानने का आग्रह किया गया। इस अभियान का असर मालदीव के पर्यटन उद्योग पर पड़ा है।
मालदीव की प्रतिक्रिया: राष्ट्रपति मोइज्जू ने मांगी माफी
मालदीव सरकार ने इस विवाद को शांत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। मालदीव के राष्ट्रपति मोइज्जू ने भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से बात की और इस मामले पर माफी मांगी। उन्होंने कहा कि मालदीव सरकार भारत के साथ अपने संबंधों को महत्व देती है और इस तरह की घटनाओं को दोबारा नहीं होने देने का वादा किया।
विवाद का भारत और मालदीव के संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव:
इस विवाद का भारत और मालदीव के संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। दोनों देशों के बीच कई विकास परियोजनाएं चल रही हैं, जो इस विवाद के कारण प्रभावित हो सकती हैं।
आगे क्या होगा:
यह देखना बाकी है कि इस विवाद का क्या होगा। भारत और मालदीव दोनों ही देश इस विवाद को सुलझाना चाहते हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
यह विवाद भारत और मालदीव के संबंधों के लिए एक परीक्षा है। दोनों देशों को इस विवाद को शांत करने और अपने संबंधों को मजबूत बनाने के लिए मिलकर काम करना होगा।