दक्षिण कोरिया में भारतीयों के खिलाफ भेदभाव और नस्लवाद कोई नई बात नहीं, पर जैसा कि निकिता ठाकुर नामक एक यूट्यूबर ने अपनी हालिया वीडियो में कुछ मुद्दों को उजागर किया है, वह चिंताजनक है।
सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव:
दक्षिण कोरिया में रह रहे भारतीयों को क्लबों, दुकानों तथा सार्वजनिक स्थलों पर आय दिन भेदभाव का सामना करना पड़ता हैं। निकिता ठाकुर द्वारा वीडियो में किए गए खुलासों की माने तो दक्षिण कोरिया के क्लबों और सार्वजनिक स्थलों पर इस्लाम और हिंदुओं को स्पष्ट रूप से बाहर करने वाले बैनर लगे होते हैं। दक्षिण कोरिया में रह रहे भारतीयों के लिए इन चीजों का आय दिन सामना करना पड़ता हैं।
यहां तक तो फिर भी ठीक है, लेकिन वीडियो में आगे जो खुलाशे किए गए, उसपर शायद आपको यकीन न हो। एक स्टिंग ऑपरेशन का साक्ष्य पेश करते हुए निकिता ठाकुर ने बताया कि, भारत में आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में “Kia Motors” के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के आसपास कुछ साउथ कोरियन रेस्टोरेंट्स खुले हुए हैं, जिनमें भारतीय या इस्लाम धर्म के लोगों का जाना माना है, यहां तक की रेस्टोरेंट में काम करने वाले कर्मचारियों में भी कोई भारतीय शामिल नहीं है।
वही वीडियो में एक दूसरे विषय को उजागर करते हुए निकिता ठाकुर ने बताया कि, राज नाम का एक यूट्यूबर जो पिछले 9 वर्षों से साउथ कोरिया में रह रहा है, अपने दिल्ली से आए कुछ दोस्तों को साउथ कोरिया घुमा रहा था। इस दौरान उसके दोस्तों ने क्लब में जाने की बात कही, पर राज कभी कोरिया में क्लबिंग के लिए नहीं गया था। चुकी यह उसके लिए भी एक नया अनुभव था इसलिए उसने कैमरा ऑन कर वीडियो रिकॉर्ड करने लग गया। लेकिन जैसे ही वह उसके दोस्तों के साथ क्लब के एंट्री गेट पर पहुंचा तो वहां मौजूद गार्ड ने उसे अंदर जाने से मना कर दिया, सिर्फ इसलिए की वह एक इंडियन था।
इसके बाद वह एक दुसरे क्लब में गए, जहां उन्हें पूछने की भी जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि एंट्री गेट पर स्वपष्ट लिखा था “Indians and Pakistanis are not allowed”.
सौंदर्य मानकों का सरकारी समर्थन:
दक्षिण कोरियाई सरकार खुले तौर पर सौंदर्य मानकों का समर्थन करती है, यहां तक कि ट्विटर पर नौकरी चाहने वालों को प्लास्टिक सर्जरी कराने की सलाह भी देती है। यह न केवल भारतीयों बल्कि आम तौर पर विदेशियों के खिलाफ नस्लवाद को बढ़ावा देता है।
उद्योगों में भेदभाव:
दिखावे के आधार पर भेदभाव भारतीयों से लेकर पश्चिमी विदेशियों तक फैला हुआ है, जो सौंदर्य चैनलों जैसे उद्योगों को प्रभावित कर रहा है।
लुकिज्म का प्रभाव:
दक्षिण कोरिया में दिखावे की गहरी जड़ें जमा चुकी अवधारणा, जहां दिखावे को अत्यधिक महत्व दिया जाता है, भारतीयों और विदेशियों के खिलाफ भेदभाव की ओर ले जाती है।
समर्थन और एकजुटता का अभाव:
भेदभाव का सामना कर रहे भारतीयों के प्रति कोरियाई लोगों की ओर से समर्थन की कमी अन्याय के खिलाफ खड़े होने के महत्व पर सवाल उठाती है।