मुंबई मैराथन: रविवार का सूरज मुंबई के क्षितिज पर उभरा, तो साथ में उभरी एक अनोखी ऊर्जा। हज़ारों की तादाद में लोग मुंबई की सड़क पर कदमताल करते हुए जोश के साथ नारे लगा रहे थे- यही नज़ारा था 17वें मुंबई मैराथन का। सिटी ऑफ़ ड्रीम्स एक बार फिर दौड़ पड़ी थी, अपनी इच्छाओं, ज़िंदगी और समाज के लिए।
इस साल मुंबई मैराथन हर्षोन्माद और गम दोनों का मिश्रण रही। केन्याई धावक बेंजामिन किप्लागत और एथियोपियाई धाविका बेरसिबे एटाना ने क्रमशः पुरुष और महिला वर्ग में खिताब अपने नाम किया। किप्लागत ने 2 घंटे 10 मिनट 22 सेकंड के शानदार समय के साथ फिनिश लाइन पार की, जबकि एटाना ने 2 घंटे 34 मिनट 04 सेकंड का समय लिया।
विजेताओं के अलावा भी कई प्रेरक कहानियां मैराथन में उभरीं। 80 साल की दादी लीलावती पवार ने साड़ी पहनकर मैराथन में भाग लिया और उसे पूरा किया, तो वहीं 104 साल के फौजा सिंह ने भी अपना हौसला दिखाया। "रोटी बैंक" अभियान को बढ़ावा देने के लिए मुंबई के डब्बावालों ने भी इस बार मुंबई मैराथन दौड़ में भाग लिया था।
लेकिन इन खुशियों के बीच एक हादसे ने लोगों को मायूस कर दिया। 75 वर्षीय राजेंद्र बोरा को मैराथन दौड़ के दौरान दिल का दौरा पड़ा और 46 वर्षीय सुवदीप बनर्जी भी दौर के दौरान बेहोश हो गई, दोनों का निधन हो गया। 22 अन्य प्रतिभागियों को डिहाइड्रेशन और अन्य कारणों से अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मुंबई पुलिस इस घटना की जांच कर रही है और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाने का वादा किया है।
इस बिटरस्वीट अनुभव के बावजूद, मुंबई मैराथन एक बार फिर साबित कर गई कि हौसला, जुनून और समर्पण हो तो इंसान किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकता है। हज़ारों प्रतिभागियों ने आज न केवल दौड़ पूरी की, बल्कि शहर के लिए, खुद के लिए और एक बेहतर कल के लिए दौड़ लगाई।
मुंबई मैराथन के कुछ अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े
- कुल प्रतिभागियों की संख्या: 56,000 से अधिक
- मैराथन के विभिन्न कैटेगरी: फुल मैराथन (42.195 किमी), हाफ मैराथन (21.0975 किमी), 10 किमी रन और 5 किमी फन रन!
- विजेताओं को दी जाने वाली पुरस्कार राशि: कुल 4.4 करोड़ रुपये थी!
- मराठों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।
मुंबई मैराथन ने एक बार फिर दिखाया कि खेल सिर्फ जीत-हार का मैदान नहीं, बल्कि समाज से जुड़ने, प्रेरित करने और बेहतर करने का एक ज़रिया है। यही वजह है कि ये मैराथन साल दर साल और बड़ी होती जा रही है और लोगों के दिलों में भी जगह बना रही है।
मुंबई मैराथन 2024 भले ही हादसे के कारण दुखमय रही, लेकिन इसने यह भी दिखाया कि हौसला और उम्मीद कभी नहीं टूटती। उम्मीद है कि अगले साल ये मैराथन और भी शानदार हो और सबके चेहरे पर सिर्फ खुशियां लाए।