नए कानून का जोड़दार विरोध, 30 लाख से अधिक ट्रकों के पहिए थमे

वाहन चालकों ने वाहन चलाने से कर दिया है इनकार

हिट एंड रन मामले में कानून के नए प्रावधानों के विरोध में तमाम राज्यों में ट्रक ड्राइवर ने वाहन चलाने से इनकार कर दिया है। नतीजा यह है कि जगह-जगह भारी वाहन सड़कों पर खड़े हो गए हैं।

पूरे देश में दिख रहा असर

ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदन ने कहा कि अभी ट्रांसपोर्ट ने हड़ताल की घोषणा नहीं की है, और इस पर फैसला मंगलवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में होगा। बिहार राज्य ट्रक ओनर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष भानु शेखर प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार के कई जिलों में करीब 50% ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर हैं।

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी संचालन प्रभावित हुआ है। मध्यप्रदेश के एसोसिएशन के पदाधिकारी विजय कालरा ने कहा, प्रदेश में छः लाख ट्रक हैं। डेढ़ लाख ट्रक दो दिन से खड़े हैं। औपचारिक ऐलान से स्थिति और बिगड़ सकती है। ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा, देश में 95 लाख ट्रक हैं, जिनमें से 30 लाख से ज्यादा का परिचालन नहीं हो रहा है।

वर्तमान स्थिति को देखते हुए हड़ताल के चलते पेट्रोल, डीजल जैसी अत्यंत आवश्यक वस्तुओं का परिवहन पूरी तरह प्रभावित हो चुका है। कई राज्यों से पेट्रोल, डीजल पंप ड्राई होने की खबरें आ रही हैं। फल, सब्जी, दूध, कृषि उत्पादन जैसी वस्तुओं का परिवहन भी प्रभावित हो रहा है, और कई जगह प्रशासन ने ट्रांसपोर्ट से संपर्क करके आपूर्ति बाहर करवाने में लगा है।

वाहन चालकों को सूचना दिए बिना भेजने पर नए कानून में 10 साल की जेल और जुर्माना भी हो सकता है।

किस बात का है विरोध?

संसद से पारित और कानून बनी भारतीय न्याय संगीता में हिट एंड रन के मामलों में लापरवाही से मौत में विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके अनुसार यदि चालक के तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने से मौत होती है और ड्राइवर पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बिना भाग जाता है तो 10 साल तक की कैद और 7 लाख रुपए जुर्माना होगा।

अब तक क्या था कानून?

आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), ड्राइवर की पहचान के बाद 304A (लापरवाही से मौत), और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत दर्ज किया जाता था। इसमें दो साल सजा का प्रावधान है जिसके चलते वाहन चालक दुर्घटना के बाद भाग जाते थे।

क्या हैं ड्राइवरों की चिंता?

ड्राइवरों की मुख्य चिंता यह है कि अगर वो दुर्घटना के बाद मौके पर रहें तो उन्हें गुस्साई भीड़ का सामना करना पड़ेगा। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि उन चालकों के प्रति नर्मी बरती जाएगी जो पुलिस को सूचना देंगे, और घायल को अस्पताल ले जाएंगे। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदन के मुताबिक संशोधन से पहले स्टेकहोल्डर से सुझाव नहीं लिए गए, देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है, पुलिस बिना वैज्ञानिक जांच दोस्त बड़े वाहन पर मढ़ देती है।

सालाना कितने मामले होते हैं दर्ज?

2022 के आंकड़ों पर नजर डालें तो हिट एंड रन मामले की कुल 478006 घटनाएं दर्ज हुईं हैं, जिनमें कुल 50815 लोगों की जान गई है।

नया कानून किस पर लागू होता है?

नए प्रावधान सभी प्रकार के वाहनों, यानी दोपहिया से लेकर कार, ट्रक से लेकर टैंकर, बसों जैसे सभी वाहन चालकों पर लागू होंगे।

ऑटो चालकों का जो मनमाना किराया, कैसा है?

बस और अन्य वाहनों के परिचालन बंद होने के कारण यात्री अब काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, जिसका फायदा उठाते हुए ऑटो चालक मनमाना किराया वसूल रहे हैं। जो किराया आमतौर पर ₹100 होना चाहिए, वहां ऑटो चालक ढाई सौ से 300 रुपए वसूल रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है याचिका

हालांकि, इन तीनों ही अपराधों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने में अभी वक्त है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से चाहे जो भी फैसला आए, किंतु वर्तमान में देश के सभी बड़े वाहनों का संचालन ठप पड़ा है।

देखा जाए तो ड्राइवर की मांग काफी हद तक जायज है, क्योंकि भले ही अमित शाह ने संसद में यह बात कही हो कि जो ड्राइवर घायलों को अस्पताल पहुंच जाएंगे और नजदीकी थाने को खबर करेंगे, उनके प्रति नर्मी बरती जाएगी, लेकिन वास्तविकता क्या है वह हम सभी ही जानते हैं। अगर ड्राइवर दुर्घटना स्थल पर रुकते हैं, तो जाहिर सी बात है कि उन्हें गुस्साई भीड़ का सामना करना पड़ेगा, और वह क्या करेगी इसका अनुमान लगा पाना वाकई में मुश्किल है, क्योंकि कानून पहले भी मौजूद है, लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जो ड्राइवर दुर्घटना स्थल पर रुकते हैं, अधिकांश को अपनी जान का जोखिम उठाना पड़ता है।

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