अरुण योगिराज: असाधारण मूर्तिकार
अरुण योगीराज, मैसूर में पांच पीढ़ियों से चले आ रहे प्रसिद्ध मूर्तिकारों के वंश से हैं, जो देश में मूर्तिकला प्रतिभा के प्रतीक के रूप में उभरे हैं। उनकी प्रसिद्धि की यात्रा उनके परिवार की कलात्मक विरासत और शिल्प के प्रति उनके स्वयं के समर्पण में निहित है।
जैसा कि हमने आपको बताया कि अरुण की पिछली पांच वीडियो मूर्ति कला के क्षेत्र से जुड़ी है, आता बचपन से ही अरुण की मूर्ति कला में विशेष रुचि रही है। उन्हें अपने पिता, योगीराज और दादा, बसवन्ना शिल्पी से कौशल विरासत में मिला, जिन्हें मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। बात करें अरुण की तो अरुण ने अपनी एमबीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद थोड़े समय के लिए कॉर्पोरेट जगत में काम किया, लेकिन जैसा की उनकी रुचि मूर्तिकला में थी, वह अपनी सहज इच्छा को अधिक समय तक रोक नहीं सके, और अंततः उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ अपनी कला को अपनाया, इस तरह उन्होंने 2008 से पुनः एक शिल्पकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की।
इस वजह से हासिल की प्रसिद्धि
अरुण योगीराज उसे वक्त व्यापक तौर पर चर्चा में आगे जब उनके नाम की घोषणा रामलाल की मूर्ति के मुख्य निर्माता के रूप में उजागर किया गया। आपको बता दे की 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित की जाने वाली रामलाल की मूर्ति का निर्माण अरुण योगी राज के द्वारा ही किया गया है, इससे पहले अरुण योगीराज ने इंडिया गेट पर स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 30 फीट की और उत्तराखंड में स्थापित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाई है, जहां से उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली थी। किंतु उनके नाम को व्यापक तौर पर तब जाना जाने लगा जब उनके नाम की घोषणा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या में स्थापित होने वाली “रामलला” की मूर्ति के मुख्य शिल्पकार के रूप में घोषित किया गया।
मुख्य रचनाएं:
केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा से लेकर डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की 15 फीट ऊंची मूर्ति तक, अरुण के हाथों ने कई प्रतिष्ठित टुकड़ों को जीवन दिया है। उनके पोर्टफोलियो में चुंचनकट्टे में 21 फीट की हनुमान प्रतिमा, मैसूर के राजा, जयचामाराजेंद्र वोडेयार की 14.5 फीट की मूर्ति, और कई अन्य चीजें शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक उनके असाधारण कौशल का प्रमाण है।
पुरस्कार और मान्यताएँ:
नलवाड़ी पुरस्कार 2020, द क्राफ्ट्स काउंसिल ऑफ कर्नाटक द्वारा मानद सदस्यता 2021 और संयुक्त राष्ट्र संगठन के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान द्वारा व्यक्तिगत सराहना जैसे पुरस्कारों के साथ, अरुण योगीराज के योगदान पर ध्यान नहीं दिया गया।
सीमाओं से परे पहचान:
अरुण की प्रतिभा ने राष्ट्रीय सीमाओं को पार किया है, जिससे उन्हें संयुक्त राष्ट्र संगठन के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान से व्यक्तिगत सराहना मिली।
संक्षेप में, अरुण योगीराज की प्रसिद्धि की यात्रा कलात्मक प्रतिभा, पारिवारिक विरासत और राष्ट्रीय मान्यता के साथ बुनी गई है, जो उन्हें न केवल भारत में बल्कि वैश्विक मंच पर भी प्रशंसित मूर्तिकार के रूप में स्थापित करती है।