हिट एंड रन कानून के खिलाफ ट्रक चालकों की हड़ताल लगातार दूसरे दिन भी जारी है, जिससे देश के कई हिस्सों में डीजल और पेट्रोल की भारी कमी हो गई है. लंबी लाइनों और खाली पंपों के सामने हताश जनता का सामना करवा रही यह हड़ताल अब राशन आपूर्ति को भी बाधित कर रही है.
हड़ताल का दायरा:
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे प्रमुख राज्यों में ट्रक हड़ताल का सबसे अधिक प्रभाव देखा जा रहा है. चक्का जाम के चलते कई हाईवे और राष्ट्रीय मार्गों पर ट्रकों की कतारें लगी हुई हैं।
प्रभाव की तस्वीर:
- पेट्रोल पंपों पर भारी कमी के कारण कई शहरों में वाहन मालिकों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
- आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होने से फल, सब्जी और दूध जैसी चीजों के दाम बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है।
- औद्योगिक क्षेत्र में भी कच्चे माल की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
चालकों की मांगें:
ट्रक चालक केंद्र सरकार से हिट एंड रन कानून को वापस लेने या उसमें संशोधन करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि नया कानून अत्यधिक सख्त है और गलत हादसों में फंसने पर उन्हें कठोर सजा का सामना करना पड़ सकता है।
सरकार का रुख:
सरकार फिलहाल कानून में किसी तरह का बदलाव करने से इनकार कर रही है. हालांकि, वह ट्रक चालकों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर समाधान निकालने का प्रयास कर रही है. सरकार ने हड़ताल खत्म करने की भी अपील की है।
आर्थिक चिंताएं:
विशेषज्ञों का अनुमान है कि ट्रक हड़ताल से हर दिन हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है. रसद आपूर्ति में व्यवधान के कारण महंगाई बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया है।
आगे की राह:
सरकार और ट्रक चालकों के बीच वार्ता जारी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है. हड़ताल कब तक चलेगी, यह भी स्पष्ट नहीं है. जनता को राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन समाधान का रास्ता अभी अनिश्चित बना हुआ है।
अतिरिक्त जानकारी:
- ट्रक हड़ताल का देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग प्रभाव देखा जा रहा है. कुछ क्षेत्रों में हड़ताल का असर ज्यादा है, तो वहीं कुछ जगहों पर ट्रक आवागमन सामान्य रूप से चल रहा है।
- हड़ताल के कारण कई ट्रांसपोर्ट कंपनियों ने अपने ऑपरेशन को रोक दिया है, जिससे रसद आपूर्ति में और कमी आई है।
- सरकार ने हड़ताल के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए कुछ राहत उपायों की घोषणा की है, जैसे कि डीजल की कीमतों में कटौती और परिवहन कंपनियों को वित्तीय सहायता।
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