बड़े दांव की तैयारी: क्या मुकेश अंबानी श्रीलंकाई टेलीकॉम बाजार पर कब्जा करेंगे?

मुकेश अंबानी का नाम एक ऐसे उद्यमी के तौर पर जाना जाता है, जो कभी भी मौके को चूकते नहीं। जहां भी बड़े सौदों की बात होती है, वहां रिलायंस इंडस्ट्रीज हमेशा ही सबसे आगे दिखाई देती है। अब उनका ध्यान पड़ोसी मुल्क श्रीलंका की एक सरकारी टेलीकॉम कंपनी PLC पर है। इस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में जियो प्लेटफॉर्म्स सबसे आगे चल रही है।


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10 नवंबर, 2023 को श्रीलंकाई सरकार ने PLC में हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया था। आपको बता दें कि इस आकर्षक ऑफर पर दुनिया की कई बड़ी कंपनियों की नज़रें पहले से ही टिकी हुई थीं, लेकिन फिलहाल तीन प्रमुख दावेदार सामने आए हैं - जियो प्लेटफॉर्म्स, एम्स्टर्डम की ग्लोबल टेलीकम्यूनिकेशंस होल्डिंग्स और पेट्टिगो कॉमर्सियो इंटरनेशनल एलडीए।

अगर यह सौदा हो जाता है, तो यह न सिर्फ श्रीलंकाई टेलीकॉम बाजार में जियो की एंट्री को चिह्नित करेगा, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपनी टेलीकॉम सेवाओं का विस्तार करने का एक बड़ा कदम होगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मुताबिक, श्रीलंकाई टेलीकॉम PLC का मार्केट कैप लगभग 4000 करोड़ रुपये है, जो जियो के लिए एक आकर्षक प्रस्ताव माना जा रहा है।

हालांकि, यह सौदा काफी हद तक श्रीलंका की आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है। पिछले कुछ समय से श्रीलंका को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसका असर उसकी सरकारी कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया पर भी पड़ सकता है। इसके अलावा, वहां हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनावों के बाद राजनीतिक अनिश्चितता भी बनी हुई है।

भारत के नज़रिए से

भारत के लोगों के लिए यह खबर इसलिए खास है क्योंकि भारत और श्रीलंका के बीच भौगोलिक निकटता और सांस्कृतिक समानताएं दोनों देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए मजबूत आधार प्रदान करती हैं। अगर जियो श्रीलंकाई टेलीकॉम में हिस्सेदारी खरीद लेती है, तो जाहिर है कि भारत के लोगों को भी भविष्य में बेहतर टेलीकॉम सेवाओं और डिजिटल कनेक्टिविटी का लाभ मिल सकता है।

लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत के टेलीकॉम बाजार में भी काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा है, और जियो को अपने घरेलू बाजार की चुनौतियों के साथ-साथ श्रीलंकाई बाजार में प्रवेश की रणनीति काफी सावधानी पूर्वक बनानी होगी। कुल मिलाकर, यह सौदा न सिर्फ श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के टेलीकॉम परिदृश्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

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