मुख्य बिंदु:
- 29 फरवरी 2024 को, टाडा कोर्ट ने 1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस में अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया।
- टुंडा पर 6 दिसंबर 1993 को हुए बम धमाकों में दहशत फैलाने का आरोप था।
- सबूतों के अभाव में टुंडा को बरी कर दिया गया है।
- टुंडा पहले भी कई बम धमाकों के मामलों में शामिल रहा है।
- 1996 के सोनीपत ब्लास्ट मामले में टुंडा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
क्या है पूरा मामला
1993 के सीरियल बम ब्लास्ट केस में गुरुवार 29 फरवरी को टाडा कोर्ट ने अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया। टुंडा पर 6 दिसंबर 1993 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर देशभर में हुए सीरियल बम धमाकों में दहशत फैलाने का आरोप था। टुंडा के वकील शफकत सुल्तानी ने कहा कि कोर्ट ने सबूतों के अभाव में टुंडा को बरी कर दिया है।
टुंडा का इतिहास:
- टुंडा का जन्म 1941 में हुआ था।
- वो लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा था।
- 2013 में गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उसके पास से एक पाकिस्तानी पासपोर्ट मिला था।
- 2016 में दिल्ली की एक अदालत ने टुंडा को चार मामलों में बरी कर दिया था।
- 1996 के सोनीपत ब्लास्ट मामले में टुंडा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
निष्कर्ष:
1993 के सीरियल बम ब्लास्ट केस में टुंडा को बरी किए जाने का फैसला विवादास्पद हो सकता है। टुंडा का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है, लेकिन सबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया गया है। 1993 के बम धमाकों में टुंडा की भूमिका को लेकर अभी भी कई सवाल हैं।
अतिरिक्त जानकारी:
टुंडा को भारत की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल किया गया था, और 2013 में टुंडा की गिरफ्तारी को आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता माना गया था। टुंडा पर आरोप था कि उसने भारत में 40 से अधिक बम विस्फोटों की योजना बनाई थी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) - 1993 सीरियल बम धमाका मामले में अब्दुल करीम टुंडा को बरी किए जाने के बारे में
प्रश्न: अब्दुल करीम टुंडा कौन है?
उत्तर: अब्दुल करीम टुंडा एक भारतीय मुस्लिम थे, जिन पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-طیبہ (LeT) के लिए बम बनाने का आरोप था। उन्हें 2013 में गिरफ्तार किया गया था और मुंबई, सूरत और भोपाल सहित भारत में हुए कई बम विस्फोटों के लिए उन पर आरोप लगाए गए थे, जिनमें 1993 का सीरियल बम विस्फोट भी शामिल है।
प्रश्न: 1993 का सीरियल बम विस्फोट मामला क्या था?
उत्तर: 1993 का सीरियल बम विस्फोट 6 दिसंबर 1993 को मुंबई, सूरत और भोपाल में हुए सम्मिलित बम हमलों की एक श्रृंखला थी। इन हमलों में 257 लोग मारे गए और 1400 से अधिक घायल हुए। उसी साल अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के प्रतिशोध में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा ये हमले किए गए थे।
प्रश्न: अब्दुल करीम टुंडा को 1993 के सीरियल बम विस्फोट मामले में क्यों बरी कर दिया गया?
उत्तर: सबूतों के अभाव के कारण 29 फरवरी, 2024 को टुंडा को 1993 के सीरियल बम विस्फोट मामले में बरी कर दिया गया था। टाडा अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष टुंडा के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका।
प्रश्न: टुंडा को बरी किए जाने पर क्या प्रतिक्रिया है?
उत्तर: टुंडा को बरी किए जाने पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। कुछ लोगों का मानना है कि वह निर्दोष है और अदालत ने सही फैसला सुनाया है। वहीं, अन्य लोगों का मानना है कि वह दोषी है और उसे सजा मिलनी चाहिए थी।
प्रश्न: टुंडा को बरी किए जाने के क्या मायने हैं?
उत्तर: टुंडा को बरी किए जाने के निहितार्थ अभी स्पष्ट नहीं हैं। यह संभव है कि इस बरी होने से लश्कर के अन्य सदस्यों का मनोबल बढ़े और भारत में और हमले हो सकते हैं। यह भी संभव है कि यह बरी करना भारत सरकार को लश्कर के अन्य सदस्यों के खिलाफ अन्य मामलों को आगे बढ़ाने से हतोत्साहित करे।