अंतरिम बजट 2024 की आस: क्या चाहते हैं देश के नागरिक? जानिए विशेषज्ञों की राय

नई दिल्ली: साल 2024 आते ही देशभर में बजट को लेकर चर्चाएं गरम हो गई हैं. इस साल फरवरी में पेश होने वाला अंतरिम बजट आम जनता की उम्मीदों का केंद्र बना हुआ है. आर्थिक सुस्ती, महंगाई की मार और रोजगार सृजन की चुनौतियों के बीच हर वर्ग की नजर इस बजट पर टिकी हुई है.

हाल ही में एक पैनल डिस्कशन में देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों, उद्योगपतियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर आम जनता की उम्मीदों पर चर्चा की और सरकार से आग्रह किया कि वो बजट में इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाए.

Interim Budget 2024 Expectations, Budget 2024 and Inflation Concerns, Budget 2024 and Job Creation, Doubling Farmers' Income: Expectations for Budget 2024, Budget 2024: Healthcare and Education, Budget 2024 for Women and Marginalized Groups, Budget 2024 Review: Expectations and Challenges, Budget 2024 and Economic Slowdown, Budget 2024: Farmers' Issues and Solutions, Budget 2024: Citizens' Expectations and Concerns.


महंगाई पर लगाम: आम आदमी की सबसे बड़ी चिंता

पैनल डिस्कशन में सबसे अधिक जोर महंगाई पर लगाम लगाने की मांग पर रहा. पिछले कुछ महीनों में खाद्य पदार्थों से लेकर तेल और पेट्रोल डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है. पैनलिस्टों का मानना है कि सरकार को रसोईगैस, पेट्रोल डीजल के दामों पर नियंत्रण के साथ-साथ किसानों को उचित मूल्य दिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए.

रोजगार सृजन की चुनौती: युवाओं की टकटकी बजट पर

कोरोना महामारी के बाद देश में बेरोजगारी की दर बढ़ना एक बड़ी चिंता है. खासकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. पैनलिस्टों का सुझाव है कि सरकार स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर और विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ाए, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हों.

किसानों की आय दोगुनी: वादा बना या टूटेगा?

सरकार ने 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था. हालांकि अभी तक इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल लग रहा है. पैनलिस्टों का कहना है कि सरकार को सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को बेहतर बीज, खाद और तकनीकी सहायता उपलब्ध करानी चाहिए. इसके अलावा, कृषि उपज के लिए उचित बाजार सुनिश्चित करना भी जरूरी है.

स्वास्थ्य और शिक्षा पर जोर: जनकल्याण की प्राथमिकता

कोरोना महामारी ने देश की स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोरियों को उजागर किया था. पैनलिस्टों का मानना है कि सरकार को बजट में स्वास्थ्य सेवाओं पर आवंटन बढ़ाने के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए. शिक्षा के क्षेत्र में भी बुनियादी सुविधाओं के विकास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए.

महिलाओं और वंचित वर्गों का उत्थान: सामाजिक न्याय की उम्मीद

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार को इस बजट में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और अन्य वंचित वर्गों के उत्थान के लिए विशेष योजनाएं शामिल करनी चाहिए. उनके कौशल विकास, उद्यमिता को बढ़ावा देने और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.

यह तो सिर्फ कुछ मुद्दे हैं, जिन पर आम जनता की नजर इस अंतरिम बजट पर टिकी हुई है. आशा है कि सरकार जनता की इन उम्मीदों पर खरा उतरेगी और ऐसा बजट पेश करेगी, जिससे हर वर्ग का भला हो और देश की तरक्की में तेजी आए.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.