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योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मंगलवार को अदालत ने कंपनी की दवाओं और उत्पादों के विज्ञापनों पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने पाया कि पतंजलि के विज्ञापन "गुमराह करने वाले" हैं और उन्होंने पिछले आदेशों का उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार, बाबा रामदेव और पतंजलि के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आचार्य बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने पतंजलि के विज्ञापनों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इसके साथ ही कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आचार्य बालकृष्ण को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए अवमानना का नोटिस भी जारी किया है।
गौरतलब है कि यह मामला कुछ समय पहले दायर की गई एक याचिका से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पतंजलि के विज्ञापन भ्रामक और अतिशयोक्तिपूर्ण जानकारी देते हैं। पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को अपने विज्ञापनों में अतिशयोक्तिपूर्ण दावे करने से रोकने का आदेश दिया था।
क्या है पूरा मामला, आइए विस्तार से जानते हैं:
- वर्ष 2022 में, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों को "भ्रामक" और "गैरकानूनी" बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
- याचिका में आरोप लगाया गया था कि पतंजलि के विज्ञापनों में अतिशयोक्तिपूर्ण दावे किए जाते हैं और वे आयुर्वेदिक दवाओं की प्रभावशीलता के बारे में गलत जानकारी फैलाते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि को अपने विज्ञापनों में अतिशयोक्तिपूर्ण दावे करने से रोकने का आदेश दिया था।
ताजा घटनाक्रम: Supreme Court Ban Patanjali
- 28 फरवरी 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि पतंजलि ने पिछले आदेशों का उल्लंघन किया है और कंपनी के विज्ञापन "गुमराह करने वाले" हैं।
- अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद की दवाओं और उत्पादों के विज्ञापनों पर अंतरिम रोक लगा दी है।
- इसके साथ ही, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए अवमानना का नोटिस जारी किया गया है।
अदालत की टिप्पणी: Supreme Court Ban Patanjali
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंजलि के विज्ञापन "बेहद गंभीर मुद्दा" है और वे "पूरे देश को गुमराह कर रहे हैं।"
- अदालत ने केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई और कहा कि सरकार ने पतंजलि के विज्ञापनों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
क्यों सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को विज्ञापन मामले में जारी किया नोटिस?
पतंजलि के विज्ञापनों में कई दावे किए गए थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक या अतिशयोक्तिपूर्ण पाया। इनमें से कुछ उदाहरण हैं:
पतंजलि के विज्ञापनों में किए गए विवादित दावे:
- रोगों का पूर्ण इलाज: पतंजलि के कुछ विज्ञापनों में दावा किया गया था कि उनकी दवाएं मधुमेह, गठिया, और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को पूरी तरह से ठीक कर सकती हैं। हालांकि, अदालत ने पाया कि इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
- त्वरित परिणाम: कई विज्ञापनों में यह दावा किया गया था कि पतंजलि के उत्पाद कुछ ही दिनों में चमत्कारी परिणाम देते हैं। मगर, अदालत ने माना कि ये दावे अतिशयोक्तिपूर्ण हैं और उपचार प्रक्रिया में व्यक्तिगत भिन्नताओं को नजरअंदाज करते हैं।
- आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से बेहतर: कुछ विज्ञापनों में ऐसा प्रचारित किया गया कि पतंजलि के उत्पाद आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से अधिक प्रभावी हैं। हालांकि, अदालत ने इस दावे को भी निराधार पाया, यह कहते हुए कि दोनों चिकित्सा पद्धतियों के अपने फायदे और नुकसान हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल कुछ उदाहरण हैं और पतंजलि के विज्ञापनों में कई अन्य दावों को भी भ्रामक माना गया है।
अतिरिक्त जानकारी: Supreme Court Ban Patanjali
- पतंजलि आयुर्वेद भारत की एक प्रमुख आयुर्वेदिक कंपनी है, जिसकी स्थापना 2006 में हुई थी।
- कंपनी खाद्य पदार्थों, दवाओं और कॉस्मेटिक उत्पादों सहित विभिन्न प्रकार के उत्पादों का निर्माण करती है।
- योग गुरु बाबा रामदेव पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक और मुख्य प्रचारक हैं।
संभावित प्रभाव: Patanjali की ब्रांड छवि को होगा नुकसान
इस ताजा घटनाक्रम के बाद पतंजलि की ब्रांड छवि को नुकसान पहुंचने की आशंका है। साथ ही, यह भी देखा जाना अभी बाकी हैं कि पतंजलि की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर क्या प्रतिक्रिया दी जाती हैं।
आपको बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद भारत की एक प्रमुख आयुर्वेदिक कंपनी है। इसकी स्थापना 2006 में हुई थी और यह योग गुरु बाबा रामदेव से जुड़ी है। कंपनी खाद्य पदार्थों, दवाओं और कॉस्मेटिक उत्पादों सहित विभिन्न प्रकार के उत्पादों का निर्माण करती है।
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