आदित्य बिड़ला समूह की दो प्रमुख कंपनियों - आदित्य बिड़ला कैपिटल (ABCL) और आदित्य बिड़ला फाइनेंस (ABFL) के विलय की घोषणा के साथ वित्तीय क्षेत्र में एक बड़ी हलचल मची हुई है। दोनों कंपनियों के बोर्डों ने सोमवार को एक योजना को मंजूरी दे दी है जिसके तहत एक बड़े एकीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) का निर्माण होगा।
यह विलय आदित्य बिड़ला कैपिटल के समूह ढांचे को सरल बनाने और कानूनी संस्थाओं को कम करने में मदद करेगा। विलय का एक महत्वपूर्ण कारण भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नए स्केल-आधारित विनियमों का अनुपालन भी है। इन विनियमों के अनुसार, आदित्य बिड़ला फाइनेंस को 30 सितंबर, 2025 तक अनिवार्य रूप से सूचीबद्ध होना आवश्यक है।
विलय के बाद, आदित्य बिड़ला कैपिटल एक होल्डिंग कंपनी से एक संचालन NBFC में परिवर्तित हो जाएगी। वर्तमान में ABCL की CEO विशाखा मुल्ये विलय के बाद बनने वाली कंपनी की MD और CEO बनेंगी, जबकि राकेश सिंह कार्यकारी निदेशक और CEO (NBFC) के रूप में कार्यभार संभालेंगे। हालांकि, यह परिवर्तन विनियामक और अन्य आवश्यक अनुमोदन मिलने के बाद ही प्रभावी होगा।
विलय के लाभ (Benefits of the Merger)
विशेषज्ञों का मानना है कि इस विलय से आदित्य बिड़ला समूह को कई लाभ होंगे, जिनमें शामिल हैं:
- कार operational दक्षता में सुधार: विलय से विभिन्न विभागों के बीच तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी और परिचालन संबंधी लागत कम होगी।
- विस्तार के लिए पूंजी की उपलब्धता: विलय से बड़ी पूंजी का सृजन होगा जिसका इस्तेमाल कंपनी अपने कारोबार का विस्तार करने में कर सकेगी।
- बाजार में मजबूत स्थिति: विलय के बाद बनने वाली कंपनी एक मजबूत और विविध वित्तीय सेवा प्रदाता के रूप में उभरेगी।
शेयर बाजार की प्रतिक्रिया (Stock Market Reaction)
आदित्य बिड़ला कैपिटल के विलय की घोषणा के बाद कंपनी के शेयरों में तेजी देखी गई। मंगलवार के शुरुआती कारोबार में शेयरों की कीमत 6% तक बढ़ गई। विश्लेषकों का मानना है कि यह विलय कंपनी के लिए दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक कदम है।
यह विलय भारतीय वित्तीय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटना है और यह देखना होगा कि यह भविष्य में अन्य कंपनियों के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है या नहीं।