फिल्म "स्वातंत्रवीर सावरकर" विनायक दामोदर सावरकर, एक विवादस्पद लेकिन महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी के जीवन पर आधारित है. रणदीप हुड्डा द्वारा निर्देशित और अभिनीत यह फिल्म, सावरकर के क्रांतिकारी जीवन, अंग्रेजों के खिलाफ उनके संघर्ष और हिंदुत्व की विचारधारा को अपनाने को दर्शाती है.
मुख्य बिंदु:
- क्रांतिकारी ज्वाला: फिल्म सावरकर के बचपन के दिनों से शुरू होती है, जहां वह ब्रिटिश राज के अत्याचारों को देखकर क्रांतिकारी बनने की ठान लेते हैं. यह उनके क्रांतिकारी संगठन "मित्र मेला" के गठन और अंग्रेजों के खिलाफ हिंसक विरोध को दिखाती है.
- लंदन में संघर्ष: फिल्म में सावरकर के लंदन में कानून की पढ़ाई के दौरान उनके क्रांतिकारी गतिविधियों को भी चित्रित किया गया है. यह दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने वीरतापूर्वक भारतीय स्वतंत्रता का आह्वान किया और ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी.
- अलग रास्ते: फिल्म उस बिंदु को भी रेखांकित करती है जहां सावरकर का रास्ता महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन से अलग हो जाता है. सावरकर हिंसा को ही अंग्रेजों को भारत से निकालने का रास्ता मानते थे.
- हिंदुत्व का प्रभाव: फिल्म सावरकर के हिंदुत्व विचारधारा को अपनाने और एकजुट भारत के उनके सपने को भी दर्शाती है.
- रणदीप हुड्डा का अभिनय: रणदीप हुड्डा ने सावरकर की भूमिका में शानदार अभिनय किया है. उनकी आंखों में क्रांति की ज्वाला झलकती है और उनके संवाद शक्तिशाली हैं.
विचारणीय पहलू:
- इतिहास का व्याख्यान: फिल्म पर यह आरोप लगाया गया है कि यह इतिहास का एकतरफा Darstellung करती है और सावरकर के कुछ विवादास्पद विचारों को नजरअंदाज करती है.
- लंबाई: फिल्म की लंबाई को लेकर भी कुछ आलोचना हुई है, कहते हैं कि कहीं-कहीं कहानी थोड़ी धीमी हो जाती है.
निष्कर्ष:
कुल मिलाकर, "स्वातंत्रवीर सावरकर" एक ऐसी फिल्म है जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक अनोखे नायक की कहानी बताती है. बेशक रणदीप हुड्डा ने इस फिल्म में शानदार अभिनय किया है, लेकिन फिल्म इतिहास के कुछ पहलुओं को लेकर बहस पैदा कर सकती है. अगर आप स्वतंत्रता संग्राम के बारे में अधिक जानना चाहते हैं और वीर सावरकर के विचारों को समझना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए जरूर देखने लायक है. लेकिन यह ध्यान रखें कि फिल्म इतिहास का संपूर्ण चित्र नहीं पेश करती है.